आप शायद सोच रहे हो की ये तो वही पुराना किस्सा है और इसका सत्य से कोई सम्बन्ध नहीं है मगर जरा फिर से सोचिये ये किसी दूसरे ग्रह के प्राणी और कोई नहीं हम ही है क्योकि हमारा वास्ता अब न तो अपने पड़ोसियों,नगरवासियों और न ही मानव जाति से रह गया है क्योकि अब तो हमें केवल अपनी चिंता है देश की जिम्मेदारी तो सरकार की है विश्व की जिम्मेदारी तो दूसरों की है हमें इन सबसे क्या? क्या हमारे पास दूसरा कोई काम नहीं है जो इन सबकी चिंता करें हमारे इन्ही सदविचारों ने हमारी भूमि को इस कदर दूषित कर दिया है की शायद आगे की पीढ़ियों को धरती की याद दिलाने के लिए हमें केवल तस्वीरों से ही काम चलाना पड़ेगा क्योकि सुदूर अंतरिक्ष से धरती तक आना मार्क शटलवर्थ जैसों के लिए ही संभव हो सकेगा
कम से कम और कुछ नहीं कर सकते प्रदूषण रोक नहीं सकते तो और फैलाएं तो नहीं अपनी जिम्मेदारी को समझें अन्यथा हम सब में और परग्रहियों में अंतर ही क्या रह जायेगा.
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